02/01/2023

मेरी माँ

'माँ' जिसकी कोई परिभाषा नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं, जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है जो मेरे दुख से दुखी हो जाती है और मेरी खुशी को अपना सबसे बड़ा सुख समझती है जिसकी छाया में मैं अपने आप को महफूज़ समझती हूँ, जो मेरा आदर्श है जिसकी ममता और प्यार भरा आँचल मुझे दुनिया से सामना करने की ‍शक्ति देता है जो साया बनकर हर कदम पर मेरा साथ देती है चोट मुझे लगती है तो दर्द उसे होता है मेरी हर परीक्षा जैसे उसकी अपनी परीक्षा होती है माँ एक पल के लिए भी दूर होती है तो जैसे कहीं कोई अधूरापन सा लगता है हर पल एक सदी जैसा महसूस होता है वाकई माँ का कोई विस्तार नहीं मेरे लिए माँ से बढ़कर कुछ नहीं। माँ जैसी दौलत दुनिया में नहीं
माँ जैसी दौलत दुनिया में नही है, माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है। माँ तो है अनमोल न कीमत लगाना रखना ख्याल उसका ,न उसको रुलाना, माँ के रुदन से ही हिलती ज़मीं है। माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है॥ माँ गर न होती यह दुनिया न होती न आकाश होता ,ज़मीं भी न होती, माँ के जतन से ही सृष्टि पली है । माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है॥ माँ का आशीष जिसको मिला है जीवन में हर पल वह फूला-फला है, माँ की दुआ से अशुभ घड़ी टली है। माँ जिसके है पास वह सबसे धनी है॥