03/03/2016

जैसी जीसकी भावना वैसा फल पावना

दो भाई थे ।
आपस में बहुत प्यार था।
खेत अलग अलग थे आजु बाजू।
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बड़ा भाई शादीशुदा था ।
छोटा अकेला ।
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एक बार खेती बहुत अच्छी हुई अनाज बहुत हुआ ।
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खेत में काम करते करते बड़े भाई ने बगल के खेत में छोटे भाई को खेत देखने का कहकर खाना खाने चला गया।
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उसके जाते ही छोटा भाई सोचने लगा । खेती तो अच्छी हुई इस बार अनाज भी बहुत हुआ। मैं तो अकेला हूँ, बड़े भाई की तो गृहस्थी है। मेरे लिए तो ये अनाज जरुरत से ज्यादा है । भैया के साथ तो भाभी बच्चे है ।
उन्हें जरुरत ज्यादा है।
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ऐसा विचारकर वह 10 बोरे अनाज बड़े भाई के अनाज में डाल देता है। बड़ा भाई भोजन करके आता है ।
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उसके आते ही छोटा भाई भोजन के लिए चला जाता है।
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भाई के जाते ही वह विचारता है ।
मेरा गृहस्थ जीवन तो अच्छे से चल रहा है...
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भाई को तो अभी गृहस्थी जमाना है... उसे अभी जिम्मेदारिया सम्हालना है... मै इतने अनाज का क्या करूँगा...
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ऐसा विचारकर उसने 10 बोरे अनाज छोटे भाई के खेत में डाल दिया...।
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दोनों भाईयों के मन में हर्ष था...
अनाज उतना का उतना ही था और हर्ष स्नेह वात्सल्य बढ़ा हुआ था...।
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सोच अच्छी रखो प्रेम बढेगा...
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दुनिया बदल जायेंगी
जैसी जिसकी भावना वैसा फल पावना...।।